CGPSCBABA DAILY PRELIMS TEST-2018, 14 september 2017
by cgpsc baba · 14/09/2017
CGPSCBABA DAILY PRELIMS TEST-2018 -14 september 2017
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यह प्रश्नोत्तरी CGPSC 2018 की तैयारी के लिए विषयों एवं समसामयिक घटनाओं के महत्वपूर्ण संकल्पनात्मक एवं सूचनात्मक ज्ञान पर आधारित है जो आपको पेपर 1 ( सामान्य ज्ञान ) मे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सहायता करेगा ।
अगर इसमे आपको कम अंक भी आते हैं तो निराश होने की जरूरत नहीं है ,टेस्ट को फिर से दें और संकल्पनाओं को समझने एवं सूचनाओं को याद करने की कोशिश करें ।
प्रश्नो का आनंद लें ,समाहित संकल्पनाओं एवं सूचनाओं पर आपस मे चर्चा करें और कोई सुधार की जरूरत हो तो हमे जरूर भेजें ,यह आपको पसंद आए तो अन्य अभ्यर्थियों के साथ साझा जरूर करें । धन्यवाद
CGPSCBABA DAILY QUIZ 2017
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
नीचे दिए प्रश्नोत्तर महत्वपूर्ण समसामयिक घटनाओं एवं विषयों के आधारभूत संकल्पनाओं और सूचनाओ पर आधारित है तथा इसमे पुराने वर्षों के सवालों का भी समावेश किया गया है ,इन्हे सतत रूप से गंभीरता पूर्वक हल करने से आप CGPSC के लिए महत्वपूर्ण समसामयिक घटनाओं एवं विषयों को समझने मे सक्षम होने के साथ साथ इन्हे हल करने हेतु अभ्यस्त भी हो जाएँगे
इसका हल देखने के लिए निम्न निर्देशों का पालन करें :
1) ‘Start Quiz’ बटन पर क्लिक करें
2) सभी सवालों को हल करें
3) ‘Quiz Summary’बटन पर क्लिक करें
4)‘Finish Quiz’ बटन पर क्लिक करें
5)अब अंतिम रूप से ‘View Questions’ बटन पर क्लिक करें – यहाँ आपको सारे प्रश्नो के उत्तर व्याख्या सही प्राप्त होंगे
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- SCIENCE AND TECHNOLOGY 0%
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- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
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- Question 1 of 5
1. Question
2 pointsएंटासिड होते हैं ?
Correct
solution -: (1 )
An antacid is a substance which neutralizes stomach acidity, used to relieve heartburn, indigestion or an upset stomachIncorrect
solution -: (1 )
An antacid is a substance which neutralizes stomach acidity, used to relieve heartburn, indigestion or an upset stomach - Question 2 of 5
2. Question
2 pointsबेकिंग सोडा है
Correct
solution -: (1 )
सोडियम बाईकार्बोनेट एक अकार्बनिक यौगिक है। इसे मीठा सोडा या ‘खाने का सोडा’ (बेकिंग सोडा) भी कहते हैं क्योंकि विभिन्न व्यंजनों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इसका अणुसूत्र NaHCO3 है। इसका आईयूपीएसी नाम ‘सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट’ है।Incorrect
solution -: (1 )
सोडियम बाईकार्बोनेट एक अकार्बनिक यौगिक है। इसे मीठा सोडा या ‘खाने का सोडा’ (बेकिंग सोडा) भी कहते हैं क्योंकि विभिन्न व्यंजनों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इसका अणुसूत्र NaHCO3 है। इसका आईयूपीएसी नाम ‘सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट’ है। - Question 3 of 5
3. Question
2 pointsकिस लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का था ?
Correct
solution -: (1 )
। भारत में पाँचवीं लोकसभा की अवधि 6 फ़रवरी, 1976 को 1 वर्ष के लिए अर्थात् 18 मार्च, 1976 से 18 मार्च, 1977 तक तथा बाद में नवम्बर, 1976 में 18 मार्च, 1977 से 18 मार्च, 1978 तक के लिए बढ़ा दी गयी थी, लेकिन जनवरी, 1977 को ही प्रधानमंत्री की सलाह पर लोकसभा का विघटन कर दिया गया और मार्च, 1977 में छठवीं लोकसभा का चुनाव कराया गया।Incorrect
solution -: (1 )
। भारत में पाँचवीं लोकसभा की अवधि 6 फ़रवरी, 1976 को 1 वर्ष के लिए अर्थात् 18 मार्च, 1976 से 18 मार्च, 1977 तक तथा बाद में नवम्बर, 1976 में 18 मार्च, 1977 से 18 मार्च, 1978 तक के लिए बढ़ा दी गयी थी, लेकिन जनवरी, 1977 को ही प्रधानमंत्री की सलाह पर लोकसभा का विघटन कर दिया गया और मार्च, 1977 में छठवीं लोकसभा का चुनाव कराया गया। - Question 4 of 5
4. Question
2 pointsनिम्न में से कौन राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायलय में उपस्थित हुए थे जब सर्वोच्च न्यायलय राष्ट्रपति के निर्वाचन विवाद की सुनवाई कर रहा था ?
Correct
solution -: (2 )
डॉ. ज़ाकिर हुसैन के निधन के कारण 24 अगस्त, 1969 में वाराहगिरि वेंकट गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति चुने गए। इन्होंने इससे पहले 3 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में यह पद संभाला। तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद उस समय के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज ने अहम भूमिका निभाई और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद तक पहुँचा दिया। इंदिरा गांधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। इसी बीच राष्ट्रपति के चुनाव आ गए। इंदिरा ने इस पद के लिए पहले नीलम संजीव रेड्डी का नाम सुझाया। पर बाद में उन्हें लगा कि रेड्डी स्वतंत्र विचार के व्यक्ति हैं और उनकी हर बात नहीं मानेंगे, इसलिए निर्दलीय उम्मीदवार वी. वी. गिरि का समर्थन कर दिया। इंदिरा गांधी ने अपने दल के सांसदों और विधायकों यानी मतदाताओं से अपील कर दी कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट दें। इस सवाल पर कांग्रेस में फूट पड़ गयी और कुछ अन्य दलों की मदद से इंदिरा गांधी ने गिरि को जीत दिला दी। मामला इतना बढ़ा कि गिरि के चुनाव को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी गयी।
मामले की सुनवाई
याचिका में मुख्य आरोप यह लगा कि राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे परचे छापे और वितरित किए गए, जो रेड्डी के चरित्र को लांछित करते थे। विवादित ढंग से चुने जाने के बावजूद गिरि के समय तक राष्ट्रपति वाकई देश के पहले नागरिक हुआ करते थे। इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एस.एम. सिकरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया गया। मुकदमा सोलह सप्ताह तक चला। सी.के. दफ्तरी गिरि के वकील थे। मुकदमे में 116 गवाहों के बयान हुए। इक्कीस दस्तावेज पेश किये गये। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने गिरि के ख़िलाफ़ पेश याचिकाएँ खारिज कर दीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति का बयान दर्ज करने के लिए कमिश्नर बहाल कर दिया था, पर श्री गिरि ने खुद हाजिर होकर बयान देना उचित समझा। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के बैठने की सम्मानजनक व्यवस्था कर दी थी। सी.के. दफ्तरी गिरि के वकील थे। इस केस में सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मुद्दे थे, उनमें मुख्यत वह विवादास्पद पर्चा था, जो रेड्डी के ख़िलाफ़ विधायकों व सांसदों के बीच वितरित किये गये थे।
Incorrect
solution -: (2 )
डॉ. ज़ाकिर हुसैन के निधन के कारण 24 अगस्त, 1969 में वाराहगिरि वेंकट गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति चुने गए। इन्होंने इससे पहले 3 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में यह पद संभाला। तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद उस समय के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज ने अहम भूमिका निभाई और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद तक पहुँचा दिया। इंदिरा गांधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। इसी बीच राष्ट्रपति के चुनाव आ गए। इंदिरा ने इस पद के लिए पहले नीलम संजीव रेड्डी का नाम सुझाया। पर बाद में उन्हें लगा कि रेड्डी स्वतंत्र विचार के व्यक्ति हैं और उनकी हर बात नहीं मानेंगे, इसलिए निर्दलीय उम्मीदवार वी. वी. गिरि का समर्थन कर दिया। इंदिरा गांधी ने अपने दल के सांसदों और विधायकों यानी मतदाताओं से अपील कर दी कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट दें। इस सवाल पर कांग्रेस में फूट पड़ गयी और कुछ अन्य दलों की मदद से इंदिरा गांधी ने गिरि को जीत दिला दी। मामला इतना बढ़ा कि गिरि के चुनाव को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी गयी।
मामले की सुनवाई
याचिका में मुख्य आरोप यह लगा कि राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे परचे छापे और वितरित किए गए, जो रेड्डी के चरित्र को लांछित करते थे। विवादित ढंग से चुने जाने के बावजूद गिरि के समय तक राष्ट्रपति वाकई देश के पहले नागरिक हुआ करते थे। इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एस.एम. सिकरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया गया। मुकदमा सोलह सप्ताह तक चला। सी.के. दफ्तरी गिरि के वकील थे। मुकदमे में 116 गवाहों के बयान हुए। इक्कीस दस्तावेज पेश किये गये। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने गिरि के ख़िलाफ़ पेश याचिकाएँ खारिज कर दीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति का बयान दर्ज करने के लिए कमिश्नर बहाल कर दिया था, पर श्री गिरि ने खुद हाजिर होकर बयान देना उचित समझा। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के बैठने की सम्मानजनक व्यवस्था कर दी थी। सी.के. दफ्तरी गिरि के वकील थे। इस केस में सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मुद्दे थे, उनमें मुख्यत वह विवादास्पद पर्चा था, जो रेड्डी के ख़िलाफ़ विधायकों व सांसदों के बीच वितरित किये गये थे।
- Question 5 of 5
5. Question
2 pointsनिम्नलिखित में से क्या सही नहीं है ?
a)प्रत्येक धन विधेयक एक वित्त विधेयक होता हैं
b)प्रत्येक वित्त विधेयक एक धन विधेयक नहीं होता है
c)वित्त विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तावित किया जा सकता है
d)वित्त विधेयक पर राष्ट्रपति के पूर्व हस्ताक्षर होते हैं
e)राज्य सभा वित्त विधेयक को 14 दिनों तक रोक सकती है
f)राष्ट्रपति वित्त विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इंकार नहीं कर सकते हैं
g)राज्यसभा वित्त विधेयक को संसोधित कर सकती है
h)गतिरोध की स्थिति में वित्त विधेयक पर संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है
Correct
solution -: (2 )
- धन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित धन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद राज्यसभा में भेजा जाता है।
- राज्यसभा धन विधेयक को न तो अस्वीकार कर संकती है और न ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है।
- वह विधेयक की प्राप्ति की तारीख से 14 दिन के भीतर विधेयक की लोकसभा की लौटा देती है।
- लोकसभा राज्यसभा की सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। यदि धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा 14 दिन के भीतर लोकसभा को नहीं लौटाया जाता है तो वह दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है (अनुच्छेद 109)।
-
- कोई विधेयक धन विधेयक तभी माना जायेगा जब वह संविधान के अनुच्छेद 110 की पूर्ति करता हो अर्थात् अनुच्छेद में वर्णित विषयों से संबंधित हो जबकि वित्त विधेयक आगामी वित्त वर्ष में नये कर या कर में संशोधन से सम्बंधित होता है।
- धन विधेयक पूरी वैधानिक विधि से गुजरने के बाद लागू होता है, जबकि वित्त विधेयक संसद में पेश होते ही लागू हो जाता है।
- कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं-लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम माना जाता है। साथ ही धन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है, जबकि वित्त विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित करने का अधिकार राज्यसभा को प्राप्त है।
- सभी धन विधेयक वित्त विधेयक होते हैं,परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते|
- अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाने वाला वित्त विधेयक दो प्रकार का होता है जिसका उल्लेख अनुच्छेद 117 में किया गया है-
- ऐसे विधेयक जिनमें धन विधेयक के लिए अनुच्छेद 110 में वर्णित किसी भी मामले के लिए प्रावधान किए जाते हैं; परंतु केवल उन्हीं मामलों के लिए ही प्रावधान नहीं किए जाते बल्कि साधारण विधेयक जैसा भी कोई मामला हो।
- धन विधेयक जिसमें भारत की संचित निधि के व्यय संबंधी प्रावधान हों।
Incorrect
solution -: (2 )
- धन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित धन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद राज्यसभा में भेजा जाता है।
- राज्यसभा धन विधेयक को न तो अस्वीकार कर संकती है और न ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है।
- वह विधेयक की प्राप्ति की तारीख से 14 दिन के भीतर विधेयक की लोकसभा की लौटा देती है।
- लोकसभा राज्यसभा की सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। यदि धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा 14 दिन के भीतर लोकसभा को नहीं लौटाया जाता है तो वह दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है (अनुच्छेद 109)।
-
- कोई विधेयक धन विधेयक तभी माना जायेगा जब वह संविधान के अनुच्छेद 110 की पूर्ति करता हो अर्थात् अनुच्छेद में वर्णित विषयों से संबंधित हो जबकि वित्त विधेयक आगामी वित्त वर्ष में नये कर या कर में संशोधन से सम्बंधित होता है।
- धन विधेयक पूरी वैधानिक विधि से गुजरने के बाद लागू होता है, जबकि वित्त विधेयक संसद में पेश होते ही लागू हो जाता है।
- कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं-लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम माना जाता है। साथ ही धन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है, जबकि वित्त विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित करने का अधिकार राज्यसभा को प्राप्त है।
- सभी धन विधेयक वित्त विधेयक होते हैं,परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते|
- अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाने वाला वित्त विधेयक दो प्रकार का होता है जिसका उल्लेख अनुच्छेद 117 में किया गया है-
- ऐसे विधेयक जिनमें धन विधेयक के लिए अनुच्छेद 110 में वर्णित किसी भी मामले के लिए प्रावधान किए जाते हैं; परंतु केवल उन्हीं मामलों के लिए ही प्रावधान नहीं किए जाते बल्कि साधारण विधेयक जैसा भी कोई मामला हो।
- धन विधेयक जिसमें भारत की संचित निधि के व्यय संबंधी प्रावधान हों।
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