RPS-2020 CGPSC MAINS WRITING PRACTICE 19 MAY ANSWER
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उत्तर 1व्यक्ति और समाज के बीच सम्बन्ध घनिष्ठ है। दोनों अन्योन्याश्रित है, दोनों एक दूसरे के विकास के लिए आवश्यक है। न तो व्यक्ति और समाज के बीच ऐसा कोई संबंध है जो एक कोष का शरीर से होता है न समाज व्यक्ति के लिए साधन मात्र है। समाज अपने सदस्यों का जो सेवा करता है उसके आगे उसका स्वयं का कोई मूल्य नह है और व्यक्ति समाज के बिना अपना विकास नही कर सकता।
इस संबंध में मैकाइवर का कहना है कि ‘ अपने सभी परम्पराओं, संस्थाओं तथा सज्जाओ के होते हुए भी समाज सामाजिक जीवन के एक महान परिवर्तनशील व्यवस्था है जो व्यक्ति की मानसिक और सारीरिक आवश्यकताओं से पैदा होती है।
उत्तर 2 प्रस्थिति मानव जीवन से जुड़ा एक सम्मानित पद है वर्तमान में प्रदत्त और अर्जित दोनों प्रकार के प्रस्थिति समाज मे बनी हुई है। इनके बीच कुछ मुख्य अंतर निम्न है-
1) जन्म के आधार पर- व्यक्ति को प्रदत्त प्रस्थिति जन्म से प्राप्त हो जाती है किंतु अर्जित प्रस्थिति में जन्म का कोई महत्व नही रहता।
2) प्रकृति जे आधार पर- प्रदत्त प्रस्थिति की प्रकृति स्थायित्व लिए होता है जबकि अर्जित प्रस्थिति चूंकि व्यक्ति के गुणों व क्षमताओं पर आश्रित है अतः इसकी प्रकृति अस्थायी है
3) महत्व के आधार पर- प्रदत्त प्रस्थिति का महत्व परपरागत समाज मे अधिक होता है किन्तु आधुनिक समाज मे अर्जित प्रस्थिति महत्वपूर्ण माना जाता है।
4) सांस्कृतिक आधार पर- प्रदत्त प्रस्थिति में समाज के मूल्य व विश्वास तथा भावनायें जुड़ी होती है जबकि अर्जित प्रस्थिति में इन सब बातों का कोई महत्व नही होता
5) प्रतिस्पर्धा के आधार पर- प्रदत्त प्रस्थिति में किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा को स्थान नही दिया जाता क्योंकि व्यक्ति को इसके लिए परिश्रम की आवश्यकता नही है जबकि अर्जित के लिए प्रतिस्पर्धा में जाना पड़ता है
6) आधार के आधार पर- प्रदत्त प्रस्थिति के मुख्य आधार जन्म, लिंग, जाति, आयु, नातेदारी व सम्पत्ति है जबकि अर्जित प्रस्थिति के आधार शिक्षा, व्यवसाय, खेलकूद, साहस व वीरता है।
उत्तर 3व्यक्ति को समाज मे पैतृक गुणों के आधार पर कुछ प्रस्थिति प्राप्त होती है, इन्ही प्रस्थिति को बनाये रखने के लिए प्रस्थिति से जुड़ी परंपरागत भूमिका होती है जिसे पूरा करना व्यक्ति का कर्त्तव्य होता है। यही भूमिका है।
किंग्सले के अनुसार- ‘ भूमिका व्यक्ति द्वारा उसके पड़ के आवश्यकता के अनुसार किया जाने वाला कार्य होता है।
उत्तर4 भूमिका की विशेषता-
1) भूमिका का निर्धारण पूर्ण रूप से प्रस्थिति पर निर्भर करता है।
2) भूमिका के निर्धारण पर ही समाजिक व्यवस्था सुचारू रूप से बनी रहती है।
3) भूमिका के निर्वाहन पर ही व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण किया जाता है
4) भूमिका के साथ सांस्कृतिक आधार पर एक विशिष्ट मूल्य जुड़ा रहता है जिसे प्रतिष्ठा कहते है।
5) सभी भूमिका महत्व के दृस्टि से समान प्रकृति1के नही होते।
6) भूमिका बहुआयामी होता है। एक व्यक्ति विद्यालय में शिक्षक होता है तो वह घर मे पिता पति या पुत्र हो सकता है।