RPS-2020 CGPSC MAINS WRITING PRACTICE 20 MAY ANSWER
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उत्तर 1– उपनिषद में ब्रह्म को परमतत्व, परमसत्य, चरम ज्योति कहा गया है जो न केवल जड़ जगत का बल्कि चेतन आत्मा का भी आधार है। इसे परमतत्व इसलिये भी कहा गया है क्योंकि इससे प्राप्त ज्ञान मुक्ति प्रदान करने वाली है
उत्तर2– उपनिषदों में आत्मा को निर्विकार तत्व माना है। जिसे हम ‘मैं’ कहते है उससे यह सर्वथा पृथक है। यह भौतिक शरीर मे रहते हुए भी मन बुद्धि और इन्द्रियों से भिन्न है। यह चेतन स्वरूप है।
उत्तर3– वेदों में प्रयुक्त ऋत वैदिक नियमो का वैज्ञानिक विश्लेषण पर प्रकाश डालता है। वैदिक आर्यो ने जिन नैतिक नियमो जैसे- कर्म सिद्धांत, यज्ञ नियम आदि को प्रस्तुत किये उनकी मूल वस्तुतः ऋत की कल्पना द्वारा ही प्रस्तुत हुआ।
ऋत का शाब्दिक अर्थ सही, उचित या ईमानदार है और इससे स्पष्ट है कि ऋत नैतिकता के नियमो का घोतक है। प्रारंभ में ऋत ही प्राकृतिक नियम था जिसका पालन करना अनिवार्य था। यह नियम इतना महत्वपूर्ण माना गया है कि जगत के समस्त चीजो से पहले यह अस्तित्वमान कहा गया।