RPS-2020 CGPSC MAINS WRITING PRACTICE 21 MAY ANSWER
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उत्तर 1- किसी व्यक्ति या उसके रिस्तेदार द्वारा महिला, जो उसके साथ रिश्ते में थी या है, को शारीरिक, मानसिक, यौनिक, भावनात्मक या आर्थिक नुकसान या चोट पहुँचाना घरेलू हिंसा है। इसमें दहेज या अन्य सम्पति के लिए महिला को प्रताड़ित करना भी शामिल है।
उत्तर2 – घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 में महिलाओं को निम्नलिखित सुविधा प्राप्त है-
1) धारा 18- संरक्षण का अधिकार
मजिस्ट्रेट द्वारा महिला और प्रत्यर्थी को सुनने के पश्चात या यह संभावना होते हुए की हिंसा हुई है या संभावना है, मजिस्ट्रेट महिला को संरक्षण का अधिकार दे सकता है।
2) धारा 19- निवास का आदेश- मामलो का समाधान करते समय, मजिस्ट्रेट को यह विश्वास हो जाये कि हिंसा हुई है तो महिला को उसी के घर में या प्रत्यर्थी के खर्चे पर कही और निवास का आदेश दे सकता है।
3)धारा 20- आर्थिक सहायता का आदेश- पीड़ित महिला और उसके बच्चे को उसके जरूरत के अनुसार व्यव और नुकसान की पूर्ति हेतु आर्थिक सहायता का आदेश दे सकता है।
4) धारा21- अभिरक्षा का आदेश- पीड़ित व्यक्ति या उसके ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति को बच्चोंK ई अभिरक्षा का आदेश दे सकता है।
5)धारा22-हर्जाना/मुआवजा का आदेश- मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़ित महिला पर प्रत्यर्थी द्वारा की गई घरेलू हिंसा के एवज में प्रतिकर और क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्यर्थी को पीड़ित महिला को मुआवजा देने का आदेश दे सकता है।
उत्तर3 महिलाओं के साथ होने वाले हिंसक व्यवहारों का महिलाओं तथा समाज पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-
1) हिंसक व्यवहारों के कारण महिलायें सुरक्षा, शिक्षा तथा कार्य करने जैसे अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हो जाते है।
2) निरंतर यातनाओं के कारण महिलायें भावनात्मक विक्षुब्धता की स्थिति में आ जाते है जिसका प्रभाव उसके कार्यक्षमता पर पड़ता है।
3) हिंसा के परिणामस्वरूप महिलायें तनाव, चिंता, अवसाद तथा शारीरिक थकावट का शिकार हो जाते है।
4) पीड़िता के आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
5) पीड़िता का परिवार से हार्दिक सम्वन्ध समाप्त हो जाता है।
6) सामाजिक संबंध समाप्त हो जाता है।
7) विभिन्न प्रकार से पीड़ित महिलायें घर छोड़ने को मजबूर हो जाते है, यह वेश्यावृत्ति के कारण बन सकता है।
8) महिलाओं के साथ हो रहे घरेलू हिंसा का उसके बच्चों पर घातक प्रभाव पड़ता है।
निरंतर हो रहे हिंसाओं को देखकर भावनात्मक रूप से अशान्त हो जाता है जो उसके जीवन मे दीर्घकालिक रूप से भावनात्मक विचलन के रूप में परिलक्षित होता है।
इसके समाधान हेतु निम्न सुझाव दे सकते है-
1) घरेलू हिंसा की पीड़िता के लिए मुआवजा एवम पुनर्वास की सुविधा देनी चाहिये।
2) पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए
3) महिलाओं को इस कानून की जानकारी देना चाहिये।
4) हिंसा रोकने के लिए प्रभावी व कठोर कानून का प्रावधान करना चाहिए।
5) सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं, गैर सरकारी संगठनों, महिला संगठनों आदि के द्वारा हिंसा के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है।
6) महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन देना चाहिए।
इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा विधिक प्रवर्तनकारी अधिकारियों, न्यायधीशों,न्यायालय के अन्य कर्मचारियों को पशिक्षण देना चाहिए ताकि वह मामलो का प्रभावी निपटान कर सके
उत्तर4- घरेलू हिंसा होने के निम्न कारण हो सकता है-
1) दहेज न मिलना या कम मिलना
2) अपने माता पिता से संपत्ति लेन से इनकार करना
3) विवाहोत्तर सम्बन्धो की शंका। विवाहपूर्व सम्बन्धो की शंका।
4) पति का बेरोजगार होना, कार्यस्थल पर पति की समस्या।
5) गर्भधारण न होने की समस्या
6) बार-बार कन्या का जन्म देना
7) यौन उत्पीड़न का विरोध करना
8) पति का शराबी होना, अन्य महिला के साथ संबंध होना आदि।