RPS-2020 CGPSC MAINS WRITING PRACTICE 27 MAY ANSWER
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उत्तर1-कौटिल्य ने पाश्चात्य राजनीतिक चिंतको द्वारा प्रतिपादित राज्य के चार आवश्यक तत्व भूमि, जनसंख्या, सरकार व संप्रभुता का विवरण न देकर राज्य के सात तत्व बताएं और उनको शरीर के अंगों से तुलना किए जो परस्पर संबंधित आत्मनिर्भर तथा मिलजुल कर कार्य करते हैं।
1) राजा- शीर्षक के तुल्य हैं । इन्हें कुलीन,साहसी, बुद्धिमान, संयमी दूरदर्शी तथा युद्ध कला में निपुण होना चाहिए ।
2)मंत्री- आंख के समान है। इन्हें जन्मजात नागरिक, उच्च कुल से संबंधित, चरित्रवान , योग्य, युद्ध कला में निपुण होना चाहिए ।
3) जनपद (भूमि व प्रजा तथा जनसंख्या )- राज्य की जाएं है जिन पर राज्य का अस्तित्व टिका है। कौटिल्य ने उपजाऊ, विशाल प्राकृतिक संसाधन , पशुधन, नदियों, तालाबों वाले प्रदेशों को उपयुक्त माना ।प्रजा को स्वामी भक्त परिश्रमी तथा आज्ञाकारी होना चाहिए ।
4) दुर्ग बाँहे तुल्य है जिसका कार्य रक्षा करना है। कौटिल्य ने चार प्रकार के दुर्ग-वन दुर्ग, पर्वत दुर्ग, जल दुर्ग तथा मरुस्थलीय दुर्गका वर्णन किया है।
5) कोष- यह मुख समान है तथा यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। कोष इतना प्रचूर होना चाहिए कि किसी भी विपत्ति के सामना करने में सहायक हो।
6) दंड(सेना) – यह मस्तिष्क तुल्य है। सेना को धैर्यवान युद्ध कुशल राष्ट्रभक्त होना चाहिए।
7) मित्र- यह राज्य का कान है। राजा के मित्र शांति व युद्ध काल दोनों में ही उसकी सहायता करते हैं ।
इस प्रकार सप्तांग सिद्धांत राज्य के सात तत्वों के महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। यह सिद्धांत राज्य की आधुनिक परिभाषा से मेल नहीं खाता किंतु इसमें आधुनिक तत्व विद्यमान है।
उत्तर2– अंबेडकर का संपूर्ण जीवन भारतीय समाज में सुधार के लिए समर्पित था। वे अदृश्यों तथा दलितों के मसीहा थे । उन्होंने सदियों से पद- दलित वर्ग को सम्मान पूर्वक जीने के लिए एक स्पष्ट मार्ग दिया।
उन्होंने दलित वर्ग पर होने वाले अन्याय का बस विरोध नहीं किया बल्कि उनमें आत्म गौरव, स्वावलंबन आत्मविश्वास , आत्म सुधार व आत्म विश्लेषण करने की शक्ति प्रदान की।उनके विचार हैं- 1) अंबेडकर वर्ण व्यवस्था के घोर विरोधी थे उन्होंने इस व्यवस्था को अवैज्ञानिक, अत्याचारपूर्ण, संकीर्ण गरिमाहीन बताया।
2) अंबेडकर जाति व्यवस्था के विरोधीथे। उनके अनुसार इस व्यवस्था से कार्यकुशलता की क्षति होती है क्योंकि इस व्यवस्था से व्यक्तियों का कार्य पूर्व निर्धारित होते है।
3) अम्बेडकर ने हिंदू समाज में व्याप्त अस्पृश्यता का प्रबल विरोध किया तथा इसके निवारण के लिए न केवल सैद्धांतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किए बल्कि उन्होंने आंदोलनों व कार्यो के माध्यम से जागरूक भी किये।
4) अम्बेडकर अंतरजातीय विवाह के समर्थक थे । वे मानते थे कि अंतरजातीय विवाह से जाति व्यवस्था स्वतः ही शिथिल हो जाएगा और अपनत्व की भावना पैदा होगी।
5) हिंदू समाजें के विभिन्न मान्यताओं में परिवर्तन पर बल दिया।
6) दलितों के शिक्षा संघर्ष तथा संगठन पर हमेशा बल दिये। उनका मानना था कि दलितों का वास्तव में उत्थान तब होगा जब वे स्वयं जागरूक होंगे।
अम्बेडकर समष्टिमूलक सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन कर एक स्वस्थ, समृद्ध, मानवतावादी समाज की स्थापना का न केवल संदेश दिया बल्कि उसके लिए पूरा अपना जीवन समर्पण कर दिया।आज के समय में उनके विचारों की प्रासंगिकता बहुत अधिक है।
उत्तर3 सत्य के लिए आग्रह ही सत्याग्रह है अर्थात अपनी मांगों पर अहिंसात्मक एवं शांतिपूर्ण ढंग से दृढ़ रहना ही सत्याग्रह है। अन्याय का विरोध करते हुए अन्यायी के प्रति वैर भाव ना रखना सत्याग्रह का मूल लक्षण है।